Friday 14 April 2017

अपने हर लफ्ज का खुद आईना हो जाऊँगा ,उस को छोटा कह के में कैसे बड़ा हो जाऊँगा ...जनाब वसीम बरेलवी

"लगता तो बेखबर सा हूँ पर खबर में हूँ ,जो तेरी नजर में हूँ तो में सबकी नजर में हूँ" ये ही अल्फाज थे उनके जब पहली बार उनको मैंने सुना और अपने आप वाह! निकल पड़ा ..जनाब वसीम बरेलवी साहब एक ऐसा नाम एक ऐसी शख्सियत जिनके बिना शायरी की हर महफिल अधूरी है  18 फरवरी 1940  में उत्तरप्रदेश  के बरेली में इनका जन्म हुआ और वर्तमान में वो कॉलेज में उर्दू  विभाग में प्रोफेसर हैं  पिछली  साल बिरला ऑडिटोरियम जयपुर में ही उनको पहली बार अपने सामने सुनने का मौका मिला था ..मौका था गजल गायक अहमद हुसैन और मोहम्मद हुसैन के सम्मान में आयोजित  एक गजल और शायरी  की महफिल का जिसमें मशहूर शायर राहत इन्दौरी ,मुनव्वर राणा,कुमार विश्वास को आना था ..अब इतने शायर एक साथ आये तो आप खुद को रोकना चाहे तो भी रोक नहीं पायेंगे और हम भी कहाँ रुकने वाले थे ..लेकिन पहुंचे तो मालुम हुआ कुमार विश्वास ज्यादा व्यस्त  होने की वजह से और मुनव्वर  राणा अपनी माँ की तबियत की वजह से नहीं आ रहे.. अब इतना सुनना की साथ गये मेरे भाई का तो मूड तभी खराब हो गया ..दरसल हुआ यूँ की उन्हें बाकि किसी में दिलचस्पी नहीं थी और उनके प्रिय कुमार विश्वास आ नहीं पाये ..फिर भी अब मुझे तो सुनना था सो वो भी क्या करते ..वसीम बरेलवी साहब को सुनने का सब का मन इस कदर था की वो अपने कुछ शेर सुना कर जाने वाले थे की सुनने वालों की गुज़ारिश पर उन्हें एक गजल और सुनानी पड़ी तो इस तरह वो वाकई एक खूबसूरत शाम थी .. वैसे आप उनकी रेख्ता में गाई गजल यहाँ सुन सकते है 
 

Tuesday 11 April 2017

तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही ..चित्रा जी की आवाज़ में एक प्यारी गजल

चित्रा सिंह ८० के दौर की बेहतरीन गजल गायिका रही हैं मिर्जा गालिब सीरियल की गजलें हो या फिर 1986 में आये एल्बम   echoes  की "सफर में धूप तो होगी चल सको तो चलो ''  और खुदा हमको ऐसी खुदाई  ना दे जैसी सदाबहार गजलों को अपनी आवाज से नवाजा और जगजीत जी के साथ शानदार एल्बम पेश किये ..पर जगजीत जी और चित्रा जी के बेटे विवेक के  इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद  1991 के बाद उन्होंने गाना छोड़ दिया और आज तक वो आवाज़ खामोश ही है हाल ही में वाराणसी में एक धार्मिक संगीत सभा में उनकी गाने की बात जरुर हो रही है तो शायद यह आवाज फिर एक बार सुनाई दे लेकिन जो दौर गुजर जाता है वो उस रंग में  कभी वापिस नहीं आता ..और उनको चाहने वालों के लिए  उनका वो दौर ही काफी है जिसमें उन्होंने एक से बढ़कर एक शानदार गजलों को अपनी आवाज दी ..मिर्जा गालिब में गाई उनकी गजलों के बाद कोई गजल मुझे सबसे पहले पसंद आती है तो वो है ''तुम को हम दिल में बसा लेंगे तुम आओ तो सही ''इस गजल के अल्फाज है मुमताज मिर्जा के और संगीत दिया है जगजीत जी ने ही यह उन्ही के एल्बम echoes का हिस्सा है जो की लाइव कॉन्सर्ट में गाई उनकी गजलों से सजा एक एल्बम है शब्दों के हिसाब से शायद इस एल्बम की कोई दूसरी गजल इस पर भारी पड़े लेकिन गर आवाज में मिठास की बात की जाये तो यह बहुत ही प्यारी गजल है
                                         

Friday 7 April 2017

जिन्दगी प्यार का गीत है ......

ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक फ्रीजर प्लांट (freezer plant) में काम करता था। वह दिन का अंतिम समय था और सभी लोग घर जाने को तैयार थे। तभी प्लांट में एक तकनीकी समस्या (technical problem) उत्पन्न हो गयी और वह उसे दूर करने में जुट गया। जब तक वह कार्य पूरा करता, तब तक अत्यधिक देर हो गयी। लाईटें बुझा दी गईं, दरवाजे सील हो गये और वह उसी प्लांट में बंद हो गया। बिना हवा व प्रकाश के पूरी रात आइस प्लांट में फंसे रहने के कारण उसकी कब्रगाह बनना तय था।
लगभग आधा घण्टे का समय बीत गया। तभी उसने किसी को दरवाजा खोलते पाया। क्या यह एक चमत्कार था? उसने देखा कि दरवाजे पर सिक्योरिटी गार्ड टार्च लिए खड़ा है। उसने उसे बाहर निकलने में मदद की।