तू समझता है फक्त रस्मे मोहब्बत की है..... मुद्दतों दिल ने तेरी दिल से इबादत की है जी हाँ यह अल्फाज़ बिल्कुल सटीक बैठते है जानी मानी ग़ज़ल गायिका डॉ.राधिका चोपड़ा पर जिन्होंने इंडियन क्लासिकल की बड़े दिल से इबादत की है और उसको अपने ही एक अलग अंदाज़ में अपनी ग़ज़लों से पेश किया है वो जम्मू से है और उनकी संगीत की शिक्षा बड़ी जल्दी ही शुरू कर दी गयी थी | और दिलचस्प बात यह है की उनको तब शुरू में सीखना बिल्कुल पसंद नहीं था लेकिन गाना तब भी अच्छा लगता था ..लेकिन धीरे -धीरे उनका लगाव संगीत से बढ़ता गया और आज वो एक मखमली आवाज़ की मालिक है उनकी ग़ज़ल गायिकी में एक अलग ही रंग नज़र आता है | सदा अम्बालवी की लिखी ग़ज़ल "वो तो खुश्बू है हर एक सम्त बिखरना है उसे" काफी लोकप्रिय हुई .. और भी गायकों ने इसको गाया है मगर इसकी रूह को महसूस किया जा सकता है तो वो आवाज़ है राधिका जी की जिन्होंने इसे बहुत कमाल गाया है ...
"वो तो खुश्बू है हर एक सम्त(path)बिखरना है उसे
दिल को क्यू जिद है की आगोश में भरना है उसे
क्यों सदा पहने वो तेरा ही पसंदीदा लिबास
कुछ तो मौसम के मुताबिक़ भी संवरना है उसे
उसको गुलचीं(a florist) की निगाहों से बचाए मौला
वो तो गुंचा है अभी और निखरना है उसे
हर तरफ चाहने वालो की बिछी है पलकें
देखिये कोनसे से रस्ते से गुजरना है उसे
दिल को समझा ले अभी से तो मुनासिब होगा
इक न इक दिन तो वादे से मुकरना है उसे
हम ने तस्वीर है ख्वाबों की मुकम्मल करली
इक रंग -ए-हिना बाकि है जो भरना है उसे
ख्वाब में भी कभी छूना तो वजू कर के 'सदा '
कभी मेला कभी रुसवा नहीं करना है उसे
उम्मीद है राधिका जी यूँही अपनी आवाज़ का जादू बिखेरती रहेंगी और हम यूँही उनको सुनते रहेंगे ...
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