Sunday 11 December 2016

मन क्यू बहका रे बहका.................

कुछ नगमे भुलाये नहीं बनते और यह हमेशा के लिए आपके दिलो पर राज़ करते है और ऐसा हो भी क्यू ना
    आखिर जब लता जी और आशा जी की आवाज़ और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे  संगीतकार जब  हो तो
भला आखिर उन्हें बार -बार गुनगुनाये क्यू नहीं |  फिल्म उत्सव का सदाबहार नगमा "मन क्यू  बहका रे बहका 
आधी रात को '' आज भी लोगो के दिल में जगह बनाए हुए है
        
अब लता जी और आशा जी की आवाज़ में तो इसे  सभी ने सुना होगा | लेकिन आजकल जबकि उन्ही सदाबहार नगमो को एक नया रूप देने की कोशिश की जाती है तो कभी कभी वो कोशिश थोड़ी कामयाब हो जाती है भले वो उनके असली रूप के सामने कंही नहीं ठहरते पर कोशिश कुछ तो कामयाबी लाती ही है |

     Shashaa Tirupati aur prajakta shukre की कोशिश भी  ऐसी ही लगती है

उम्मीद है इनकी यह कोशिश आपको भी पसंद आएगी|

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